भारत में लॉक्डाउन के बीच बढ़ रहे साइबर अपराध, फैल रहा कोरोना वाइरस मालवेयर :
प्रेषक: यशराज बैस
भारत देश एक तरफ़ जहां कोरोना वाइरस महामारी से लड़ने हेतु अपनी पूरी ताक़त लगाए हुए है, वहीं इन दिनों साइबर अपराध भी बेहद तीव्रता के साथ बढ़ रहे है। देश-व्यापी लाक्डाउन के चलते सभी अपने घरों पर बंद है, ऐसे में साइबर अपराधी इन दिनों तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर मासूम लोगों को अपने अपराध का शिकार बना रहे है। ऐसे में यह कहना ग़लत नहीं होगा, यी यह भी एक तरह से तथाकथित-कोरोना वाइरस मालवेयर हैं, एवं कोरोना के साथ-साथ हमें इसके साथ भी युद्ध करना होगा।
भारतीय गृह मंत्रालय के एक अभ्यावेदन के अनुसार विगत चार हफ़्तों (मार्च-अप्रैल) में साइबर अपराधों में अचानक 86% से इज़ाफ़ा हुआ है।लोगों को तरह -तरह के प्रलोभन दिए जा रहे है, आकर्षक ऑफ़र्ज़ एवं फ़र्ज़ी वेबसाईटेस को माध्यम बनाकर लोगों को ठगा जा रहा हैं। साइबर अपराध से बचने का और कोई उपाय नहीं है, मगर मुख्यतः सतर्कता बरतना एवं उचित सावधानी रखना ही इसका एकमात्र उपचार है। हम सभी अपनी रोज़मर्रा के जीवन में सोशल मीडिया एवं मोबाइल फ़ोन का उपयोग ज़रूर करते है, मगर हम इनके संदर्भ में उचित ज्ञान एवं अपने अधिकारों के बारे में उपयुक्त जानकारी नहीं रखते है, जिसकी हमें एक बहुत बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है। जैसा कि कहा गया है कि “ज्ञान ही ताक़त हैं, और ताक़त ही ज्ञान हैं”। इसलिए किसी भी ऑफ़र को सच मानने से पूर्व, किसी भी प्रलोभन में आने से पूर्व एवं किसी भी परिवार जन के नाम से आए हुए संदेश के आधार पर उन्हें ऑनलाइन पैसे भेजने से पूर्व, अपने सामान्य ज्ञान का उपयोग अवश्य कर ले, क्यूँकि केवल यही है जो आपको साइबर अपराध का शिकार होने से बचा सकता है। इसी पंक्ति में दिल्ली एवं मुंबई जैसे महानगरों ने बढ़ते साइबर अपराधों के आकंडो को काफ़ी गम्भीरता से लेते हुए,उक्त संदर्भ में काफ़ी सख़्त आदेश एवं अधिसूचनाएँ भी जारी की है।
किस प्रकार के दे रहे प्रलोभन: अगर कोई सामान्य व्यक्ति अपने सामान्य ज्ञान का प्रयोग करे तो वो बहुत सरलता से इस बात का अनुमान लगा सकता है, की उक्त ऑफ़र्ज़ या प्रस्ताव जो इतने आकर्षक लग रहे है, उनकी सच्चाई क्या है? अभी हाल ही में हुए साइबर अपराधों से हमें सीख लेनी चाहिए एवं साइबर अपराध के स्वरूप को समझना चाहिए।
वर्तमान कुछ समय में हुए साइबर अपराध निम्नानुसर है :
1. रिलायंस जियो के नाम से फ़र्ज़ी ऑफ़र्ज़: अभी हाल ही में रिलायंस जियो के नाम से लोगों के पास फ़र्ज़ी संदेश एवं ईमेल भेजें जा रहे है, संदेश के अनुसार ज़ियो एवं नेटफलिक्स एक संधि के तहत उपभोगताओं को सस्ते दरों पर अपनी सेवाएँ दे रहे है। संदेश के अंत में एक लिंक दि जाती है, और संदेश पढ़ने वाले को लिंक के माध्यम से रीचार्ज करने हेतु उत्प्रेरित किया जाता है, जैसे ही रीचार्ज होता है, उक्त लिंक स्वतः उस उपभोगता हेतु डिसेबल हो जाती, और ऐसे एक भोला-भला व्यक्ति काफ़ी सरलता से साइबर अपराध का शिकार हो जाता हैं इस संदर्भ में वर्तमान में गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचनाएँ जारी भी की गयी है। रिलायंस ज़ियो प्रबंधन द्वारा भी उक्त घटना को काफ़ी गम्भीरता से लिया गया है, एवं उनके द्वारा एक प्रेस नोट जारी कर यह स्पष्ट किया गया है, की ज़ियो द्वारा ऐसा कोई भी ऑफ़र उपभोगताओं को नहीं दिया जा रहा हैं, इसलिए अफ़वाहों से सावधान रहे।
2. पीएम केयर्स फंड के नाम से कई फ़र्ज़ी वेब्सायट: भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा पीएम केयर्स फंड की स्थापना विगत दो माह पूर्व में ही की गई, जिसमें भारत एवं विश्व का कोई भी नागरिक अपनी क्षमता अनुसार कुछ धनराशि दान कर सकते है, जो कि भारत शासन द्वारा कोरोना महामारी से लड़ने एवं कोरोना योद्धाओं को ज़्यादा से ज़्यादा संसाधन उपलब्ध कराने में उपयोग की जावेगी। साइबर अपराधियों द्वारा पीएम केयर्स फंड के नाम से कई फ़र्ज़ी वेब्सायट बना ली गई है, जो कि इंटरनेट पर प्रचलन में है। भारतीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा यह बताया गया कि विगत एक महीने में भारतीयों एवं एनआरआईओ द्वारा 8000 से ज़्यादा शिकायतें उनके संज्ञान में आयी है, जिसमें पीड़ितों द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा धनराशि भारत शासन के नाम से संचालित होने वाली एवं वास्तविक दिखने वाली फ़र्ज़ी वेब्सायट में दान दे दी गई है। अनुमान के अनुसार यह राशि करोड़ों डॉलर्ज़ में है। गृह मंत्रालय द्वारा उक्त घटना को गम्भीरता से लेते हुए समस्त फ़र्ज़ी वेब्सायटस पर त्वरित रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
3. स्टैचू ओफ़ यूनिटी को बेचने की कोशिश – यह सुनने में हास्यास्पद लग सकता है, मगर कुछ वक्त पूर्व भारतीय प्राधिकारियों द्वारा एक शिकायत दर्ज़ करवाई गई है, जिसके अनुसार किसी साइबर अपराधी द्वारा एक फ़र्ज़ी वेब्सायट बनाकर भारत में बने एवं विश्व की सबसे ऊँचे स्टैचू ओफ़ यूनिटी (भारत के लौह-पुरुष श्री सरदार वल्लभ भई पटेल की स्मृति में निर्मित) को क्रय करने की नाकाम कोशिश की गई है। अपराधी द्वारा एक फ़र्ज़ी वेब्सायट बनाकर, उसमें स्टैचू ओफ़ यूनिटी को लग-भग रु.26000 करोड़ में बेचने की कोशिश की है, वेब्सायट के अनुसार उक्त राशि गुजरात शासन द्वारा कोरोना महामारी से लड़ने हेतु उपयोग की जावेगी। वेब्सायट पर एक फ़र्ज़ी पता एक बैंक खाते की विस्तृत जानकारी भी थी, जिसे भारत शासन एवं अन्य प्राधिकारियों द्वारा उचित कार्यवाही कर प्रतिबंधित कर दिया गया है।
क्या सावधानी रखे: साइबर अपराध एक मात्र ऐसा अपराध है, जिससे बचने हेतु सतर्कता एवं सावधानी ही इसके दो आधार-स्तंभ है। आप सोशल मीडिया एवं इंटरनेट का उपयोग बंद तो नहीं कर सकते है, मगर इसे उपयोग करते समय सावधानी अवश्य रख सकते है। भारत के साइबर सुरक्षा सलाहकार श्री राजेश पंत द्वारा भी एक साक्षात्कार में यह बताया गया है कि मुख्य रूप से इन दिनों साइबर अपराधियों द्वारा कई फ़र्ज़ी साइट्स का प्रमोचन किया गया हैं, जिससे लोगों को सावधान रहने की ज़रूरत है।
इसके अलावा हर उपभोगता अपने मोबाइल फ़ोन पर डीएनडी (डू नॉट डिस्टर्ब ) ज़रूर सक्षम रखे, यह फ़र्ज़ी फ़ोन कॉल्ज़ एवं संदेशो को फ़ोन में आने से रोकता है, इसे 1909 पर कॉल कर या एसएमएस भेज कर कर चालू किया जा सकता है। साथ ही साथ भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) का ऐप अवश्य अपने मोबाइल फ़ोन पर रखे, इसे प्ले स्टोर या ऐप स्टोर पर जाकर प्राप्त किया जा सकता है, जो की मुफ़्त है। अगर डी॰एन॰डी॰ के उपरांत भी कोई फ़र्ज़ी कॉल या संदेश उपभोगता के मोबाइल फ़ोन पर आता है, तो इस ट्राई ऐप द्वारा इसकी शिकायत दर्ज़ करवाई जा सकती है, सही पाए जाने पर सम्बंधित व्यक्ति एवं कम्पनी के विरुध ट्राई द्वारा कार्यवाही सु-निश्चित की जावेगी जिसमें रु. 25,000/- तक का अर्थदंड अधिरोपित किया जाना सम्मलित है।
कैसे करें शिकायत: साइबर अपराध घटित होने, पर आमजन के मध्य में उक्त संदर्भ में अल्पज्ञान के चलते उनके समक्ष सबसे भीषण समस्या यह रहती है, की इसकी शिकायत कहाँ की जाए और किस प्रकार की जाए। साइबर अपराध के बढ़ते आँकड़ो को मद्देनज़र रखते हुए भारतीय गृह मंत्रालय ने इसको लेकर एक वेब्सायट www.cybercrime.gov.in को प्रमोचित किया है, भारत का कोई भी नागरिक इस वेब्सायट के माध्यम से रिपोर्ट के सेक्शन में जा कर अपनी शिकायत अंकित करवा सकता है, वहाँ से उक्त शिकायत सम्बंधित राज्य साइबर सेल को अग्रेषित कर दी जाती है, एवं सात दिवस के भीतर इस संदर्भ में कार्यवाही की जाती है, जिसके उपरांत पीड़ित से अनुतोष हेतु सम्पर्क किया जाता है, शिकायत की स्तिथि एवं रिपोर्ट ऑनलाइन देखी जा सकती है । इसके अलावा पीड़ित सीधे ही अपनी शिकायत उसके ज़िले के क्षेत्राधिकार में स्थापित साइबर सुरक्षा सेल में भी अंकित करवा सकते है, जो कि लिखित अथवा मौखिक दोनो ही रूप में हो सकती है। अगर किसी पीड़ित को इन दोनो ही प्रक्रियों के माध्यम से शिकायत दर्ज़ करने में समस्या है, तो वह व्यक्ति डायल -100 पर दूरभाष के माध्यम से सम्पर्क कर निकटम पुलिस थाने पर उपस्तिथ होकर प्रत्यक्ष रूप से अपनी शिकायत दर्ज़ करवा सकता है, जहां से उसकी शिकायत सम्बंधित साइबर सेल को अग्रेषित कर दी जाती है।
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 153(3) के अनुरूप कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी दशा में कभी भी पीड़ित को एफ़आईआर दर्ज़ करने से मना नहीं कर सकता, अगर वो ऐसा करता है, तो शिकायतकर्ता द्वारा सीधे इस संदर्भ में माननीय पुलिस अधीक्षक महोदय के समक्ष शिकायत की जा सकती है, जो कि धारा 166-ए के तहत सम्बंधित पुलिस अधिकारी के विरुध अपराध पंजिबद्ध कर उसे दंडित कर सकते है।
सामान्य रूप से साइबर अपराधियों पर भारतीय दंड विधान, 1860 की धारा 120-बी (षड्यंत्र रचना), धारा 417, 419, 420 (धोखाधड़ी एवं उसकी सजाएँ), धारा 406 (आपराधिक न्यायभंग के लिए दंड) एवं आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67-ए, 66-एफ, 66, आदि अधिरोपित की जाती है।
निष्कर्ष: आज की तारीख़ में साइबर अपराध न सिर्फ़ भारत में बल्कि एक वैश्विक समस्या हैं, भारत देश साइबर अपराधियों के निशाने पर आने वाली मुख्य पाँच राष्ट्रों में सम्मलित हैं।
50 करोड़ से ज़्यादा भारतीय आज इंटरनेट का उपयोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कर रहे है, इसी के साथ- साथ इसी गति से साइबर अपराध भी बढ़ रहे हैं, मैं हमेशा से कहता आया हूँ की केवल सावधानी एवं सतर्कता रखने मात्र से साइबर अपराधों से काफ़ी सरलतापूर्ण तरीक़े से बचा जा सकता हैं। किसी भी अनजान व्यक्ति से सोशल मीडिया पर मित्रता न करे, किसी प्रलोभन के प्रभाव में न आएँ एवं हर एक ऑफ़र्ज़ जो की आपको प्रथम दृश्या आकर्षक लग रहे की उनका ठीक तरह से परीक्षण कर ही कोई निर्णय ले, स्वयं भी जागरूक रहे एवं दूसरों को भी जागरूक करें। नमस्कार!
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