भारत सरकार जम्मू-कश्मीर की सनातन समस्या सुलझाने के लिए एक दुःसाहसिक प्रयोग कर रही यही.पूरे देश और दुनिया की नजर इस दुःसाहसिक प्रयोग पर है क्योंकि इसके नतीजे न केवल देश को बल्कि आसपड़ोस और विदेश को भी प्रभावित करने वाले होंगे .
जम्मू-कश्मीर की समस्या के इतिहास में जाने की आज कोई जरूरत नहीं है.अनेक विद्वान लेखक इस मसले पर अनेक शोधपूर्ण किताबें लिख चुके हैं,अखबारों में असंख्य लेख प्रकाशित हो चुके हैं और गूगल का खजाना तो इस मसले से बाबस्ता सामग्री से भरा ही पड़ा है.आज तो सिर्फ इस बात पर चर्चा की जा सकती है की भारत सरकार का दुःसाहसिक प्रयोग कामयाब होगा या नहीं ?
भारत सरकार कश्मीर को देश की मुख्य धारा में लाने के लिए क्या कर रही है ये तो कोई नहीं जानता लेकिन खबर है की इस विवादास्पद सूबे कोटीन हिस्से में तकसीम किया जा रहा है. जब इस सीमावर्ती सूबे का भूगोल बदलेगा तो इतिहास और वर्तमान अपने आप बदल जायेगा .देश की आजादी के समय से कश्मीर भारत सरकारों के लिए सिरदर्द रहा है. अब तक कोई भी सरकार इस मसले का स्थाई हल नहीं कर सकी है. ये समस्या हर साल हमारी फ़ौज और सुरक्षा बलों के हजारों जवानों और निर्दोष नागरिकों की बलि लेती आयी है लेकिन मसला जस का तस बना हुआ है .
सूबे के अनेक नए-पुराने भाग्य विधाता नजरबंद किये जा चुके हैं,आधुनिक संचार सेवाएं निलंबित की जा चुकीं हैं और अब भगवान जाने क्या किया जाना है.पंजाब में आपरेशन ब्लू स्टार की तरह कश्मीर में भी कोई आपरेशन हो रहा है जिसकी किसी को कानोंकान खबर नहीं है. [आपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को अमृतसर (पंजाब) स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था।]कश्मीर में भी आतंकवाद को दशकों से पाकिस्तान का खुला समर्थन मिला हुआ है .आज जो कश्मीर में हो रहा है वही सब 1984 में पंजाब में हुआ था .
आपरेशन ब्लू स्टार के बाद से पंजाब शांत है और इसके लिए पंजाब के भूगोल से भी छेड़छाड़ नहीं करना पड़ी थी .पंजाब के आपरेशन से ही प्रोत्साहित होकर लगता है की मौजूदा सरकार कश्मीर में अपना मिशन लेकर आयी है .पंजाब के मिशन में भी फ़ौज थी और कश्मीर के मिशन में भी फ़ौज का इस्तेमाल किया जा रहा है .मै प्रार्थना करता हूँ की ये मिशन बिना किसी खून खराबे के पूरा हो .पंजाब के मिशन के बाद जो हुआ सो अब इतहास है लेकिन कश्मीर के मिशन के बाद जो होगा वो भविष्य के गर्त में हैं .कश्मीर अगर देश की मुख्यधारा में आ जाये और वहां स्थाई शान्ति हो जाए तो देश में आतंकवाद और सीमाओं की रक्षा पर किया जाने वाला अकूत खर्च रुक सकता है और इसका इस्तेमाल विकास में हो सकता है ,लेकिन सवाल ये है की क्या इस मिशन से कश्मीरियत भी महफूज रह पाएगी ?
कश्मीर हमारे लिए समस्या भी है और चुनौती भी.कश्मीर को हम किसी भी कीमत पर अकेला नहीं छोड़ सकते .कश्मीर हमारी अनिवार्य आवश्यकता है ,इसलिए अभी भारत सरकार के आपरेशन कश्मीर के बारे में मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहना.मेरी चिंता सिर्फ इतनी है कि भूगोल और इतिहास बदलने के इस खतरनाक मिशन का कोई बड़ा खामियाजा देश को न चुकाना पड़े .कश्मीर मिशन के बाद पाकिस्तान की गतिविधियों पर निगाह रखी ही जा रही होगी लेकिन देखना होगा कि पाकिस्तान के साथ और कौन-कौन खड़ा होता है.आज नाग पंचमी है मेरी कामना है कि कश्मीर में आतंक के नाग का फन हमेशा के लिए कुचल दिया जाये .इस मसले पर हम सब देश के साथ हैं यानि सरकार के साथ हैं .हम फिलहाल ये नहीं देख रहे कि सरकार किस पार्टी की है .
आपको याद होगा कि मिशन शुरू करने से पहले ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा बीच में ही समाप्त करने और तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से जल्द से जल्द घाटी छोड़ने को कहा गया था. इस आदेश के बाद स्थानीय लोग घरों में जरूरी सामानों का स्टॉक करने के लिए दुकानों और फ्यूल स्टेशनों पर बड़ी-बड़ी लाइनों में खड़े नजर आए. कश्मीर में रविवार को भी तनावपूर्ण स्थिति बनी रही. अधिकारियों ने आतंकवादी खतरे और पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर शत्रुता बढ़ने के बीच अहम प्रतिष्ठानों और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है.
मिशन कश्मीर को लेकर सरकार से आज कोई सवाल भले न किया जाये लेकिन कल देश इस मिशन के बारे में सरकार से एक श्वेत पत्र की अपेक्षा जरूर करेगा,वीएस ऐसे मिशन गोपनीय होते हैं ,इनकी जानकारी संसद को भी इनके समापन के बाद दी जाती रही है.हम भी इन्तजार कर रहे हैं और आप भी कीजिये .
@ राकेश अचल जी एफबी वाल पोस्ट