सपनो का शहर ‘दिल्ली’ जहां हर रोज़ हज़ारों लोग आते है| कोई घूमने आता है तो कोई रोज़गार की तलाश में| जो लोग दिल्ली कभी नहीं आए उन्हें लगता है दिल्ली में सिर्फ मैट्रो, ऊचे-ऊचे फ्लाईओवर और कुछ ऐतहासिक इमारतें ही है| पर ऐसा नहीं है… दिल्ली का “दिल” यानी असली खूबसूरती और रंग तो पुरानी दिल्ली में है|
दिल्ली का इतिहास सबसे पुराना है| दिल्ली का इतिहास महाभारत काल से अस्तित्व में है| 17वी शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां ने शाहजहानाबाद नगर का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान में “पुरानी दिल्ली” Old Delhi कहते है| जब शाहजहां ने आगरा से अपनी राजधानी बदली तो इस बार पुरानी दिल्ली को अपनी राजधानी बनाई|
अगर आप दिल्ली घूमने आए और पुरानी दिल्ली ना घूमे तो इसका मतलब आपने असली दिल्ली देखी ही नहीं! ऐतहासिक इमारतों से लेकर स्वादिष्ट खाने तक सबकुछ मिलेगा यहां पर!
ऐतहासिक इमारतें:-
अधिकतर ऐतिहासिक इमारतें पुरानी दिल्ली में ही स्थित है| “जामा मस्जिद” जो कि भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है, “लाल किला” जहा आज भी स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, फतेहपुरी मस्जिद से लेकर गुरुद्वारा सीस गंज साहिब तक पुरानी दिल्ली में स्थित है| इनकी भव्यता देख कर पर्यटक पुरानी दिल्ली की ओर खीचे चले आते है|
चांदनी चौक:-
चांदनी चौक दो चीजों की वजह से सबसे ज्यादा मशहूर है, पहली तो यहां की तंग गलियां और उनमें बसे छोटे छोटे दुकान| यहां की भूल-भुलैया जैसी पतली गलियां ही तो इसकी पहचान है| इन पतली गलियों से पूरे पुरानी दिल्ली के लोग हर रोज़ बड़ी आसानी से गुज़र जाते है और उससे भी बड़ी बात लोग अपनी बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी इन गलियों से निकाल लेते है जो कि एक कला से कम नही है|
दूसरी सबसे मशहूर चीज है यहां का खाना!
पराठे वाली गली के बारे में तो हम सबने ही सुना है इस गली में तो हमेशा ही स्थानीय लोगों और सैलानियों की भीड़ लगी रहती है क्योंकि इस गली के पराठो का दीवाना हर कोई है| एक बार आपने पराठे वाली गली के पराठे खा लिए फिर तो आप इसका स्वाद कभी नहीं भूल पाओगे! इसके अलावा जामा मस्जिद के मुगलई बिरयानी से लेकर बटर चिकन तक लोग ज़ायका लेकर खाते है|
खरीदारी:-
कही जाए और कुछ खरीद कर ना लाए ऐसा कैसे हो सकता है| पुरानी दिल्ली के कई मार्केट मशहूर है जहा से लोग बड़े ही सस्ते दामो में खरीदारी करते है| जामा मस्जिद के बाहर लगने वाला मीना बाज़ार, चांदनी चौक की कपड़े की दुकानों से लेकर लाल कुंआ रोड की पटरी तक लोगो को बड़ी आकर्षक चीज़े मिलती है| महिलाओं के लिए हाथो के कड़े से लेकर पैरो की जूती तक सबकुछ मिलता है और वो भी ठीक दामों पर|
माना पुरानी दिल्ली में पुराने घर और गलियां है बहुत ऊची इमारतें नहीं, भले ही यहां बहुत भीड़ – भाड़ और धूल-मिट्टी है पर इसकी एक अपनी सुंदरता,संस्कृति और अलग पहचान है| यही खासियत पुरानी दिल्ली को पूरी दिल्ली से अलग दिखाती है|
दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है,
जो भी गुज़रा है उसने लूटा है!
बशीर बद्र-
यह पंक्तियां पुरानी दिल्ली को पूर्ण रूप से सार्थक सिद्ध करती है|
Article by
Yasmin