- सरकारी सेवाओं के डिजिटलीकरण के साथ उसे लीकेज प्रूफ बनाना भी जरूरी
कृतिका राव:-
कोविड के संहारक और बेहद संक्रामक दौर में जिन कई चीजों से दुनिया की चाल ज्यादा नहीं गड़बड़ाई, उनमें एक बड़ी वजह जरूरी सामानों की ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर स्कूल-कॉलेजों की पढ़ाई और मनोरंजन के कई साधनों तक लोगों की आसान पहुंच रही। चूंकि घर बैठे खरीदारी की सहूलियत मिलती रही, इसलिए लॉकडाउन के लंबे दौर में भी लोग तमाम परेशानियों से बच गए।
मोबाइल फोन से जुड़ी नेटबैंकिंग : बेशक हम ऐसी दुनिया चाहते हैं जिसमें हमारी सुख-सुविधाओं के तमाम प्रबंध घर बैठे हो जाएं। लेकिन इन्हीं के बीच जब ये खबरें मिलती हैं कि मोबाइल एप के जरिये हमारी निजी सूचनाओं पर किसी ने हाथ साफ कर लिया है या मोबाइल फोन से जुड़ी नेटबैंकिंग के जरिये हमारे खातों में जमा रकम उड़ा ली गई है तो खुद को सूचना तकनीक का एक पुरोधा मुल्क कहते हुए शर्म आने लगती है। हालांकि सरकारें और बैंकिंग संस्थान डाटा की लीकेज और हैकिंग के ज्यादातर मामलों में अपनी गलती नहीं मानते। उनकी कोशिश रहती है कि ऐसी समस्याओं का ठीकरा पीड़ित व्यक्ति के माथे ही फोड़ा जाए। पर कई बार उनकी संबंधित हिदायतों की पोल खुल जाती है, तब यह सवाल और प्रासंगिक हो जाता है कि जिस भारत की आइटी प्रतिभाओं की दुनिया में तूती बोलती रही है, उसी मुल्क में आइटी का सरकारी प्रबंधन इतना खोखला क्यों है।
देश ने डिजिटलीकरण की दिशा में काफी तरक्की कर ली है : देश को डिजिटल साक्षर बनाने और पहचान एवं लेन-देन से जुड़े सारे उपायों के डिजिटलीकरण के निश्चय ही अपने फायदे हैं। आधार कार्ड, भीम एप, आरोग्य सेतु एप जैसी चीजों की एक पूरी लिस्ट है, जो साबित करती है कि हमारे देश ने डिजिटलीकरण की दिशा में काफी तरक्की कर ली है। आधार कार्ड जहां हरेक व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करता है और सरकारी योजनाओं से लोगों को मिलने वाली सुविधाओं की सीधी दखल बनाता है, वहीं ताजातरीन आरोग्य सेतु एप कोरोना वायरस की रोकथाम में सहायक बताया गया है।
घोटाले और धोखाधड़ी जैसी आपराधिक हरकतें : इसी तरह भीम एप को ऑनलाइन लेन-देन की एक मजबूत कड़ी के रूप में सरकार ने विकसित किया है। देश में आई डिजिटल क्रांति के फलस्वरूप इन सभी योजनाओं के तमाम फायदे भी लोगों ने उठाए हैं। ऐसे में देश के डिजिटलीकरण की मुहिम का हर कोई समर्थन करना चाहेगा। लेकिन सुविधाओं की ऑनलाइन आवाजाही एक बात है, उसमें घोटाले और धोखाधड़ी जैसी आपराधिक हरकतें दूसरी बात हैं। सरकार ने सुविधाओं के जो डिजिटल इंतजाम किए हैं, अगर वे पांच-दस फीसद लोगों की निजी सूचनाओं की लीकेज और उनके बैंक खातों में जमा रकम में सेंधमारी की वजह बन जाते हैं तो डिजिटलीकरण के समूचे अभियान को संकट में डालने वाली इससे बड़ी बात और क्या होगी। कुछ मिसालें इस संबंध में ली जा सकती हैं।
बैंक खातों के डिटेल और संवेदनशील सूचनाएं :हाल में इजरायल की साइबर सिक्योरिटी वेबसाइट वीपीएनमेंटॉर ने एक रिपोर्ट में सरकारी भीम एप के डाटा में हैकरों की घुसपैठ का दावा किया। दावे के मुताबिक इस लीकेज से लोगों के आधार कार्ड की सूचनाएं, जाति प्रमाणपत्र, आवासीय पते की सूचना, बैंक खातों के डिटेल और संवेदनशील सूचनाएं हैकरों एवं साइबर अपराधियों के हत्थे चढ़ गई हैं। ऐसी स्थिति में लोगों को धोखाधड़ी, चोरी और साइबर अटैक का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि भीम एप विकसित करने वाले नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने डाटा लीक के इस दावे को खारिज किया है, लेकिन ऐसे खंडन तो अतीत में आधार कार्ड और हाल में आरोग्य सेतु एप से जुड़ी सूचनाओं की लीकेज के दावों पर भी आए हैं।
बायोमीटिक निशान के स्क्रीनशॉट्स : अप्रैल 2017 में झारखंड से एक खबर आई थी कि राज्य सरकार की लापरवाही से प्रदेश के 14 लाख से अधिक लोगों का आधार डाटा सार्वजनिक हो गया था। मामले का खुलासा हुआ तो ङोंप मिटाने के लिए सरकार ने आधार नंबर को इनक्रिप्ट यानी कूटभाषा में कर दिया था। इसके बाद एक अप्रैल, 2018 को फ्रांस के एक अज्ञात हैकर एलियट एल्डर्सन ने ट्विटर पर कुछ स्क्रीनशॉट के जरिये भारत की सरकारी वेबसाइटों पर आधार को लेकर मौजूद खामियों को उजागर करने का दावा करते हुए आधार के डाटा की सुरक्षा को सवालों के घेरे में ला दिया था। खुद को फ्रेंच सुरक्षा शोधकर्ता कहने वाले एलियट ने आंध्र प्रदेश की सरकारी वेबसाइट का यूआरएल और बायोमीटिक निशान के स्क्रीनशॉट्स को साझा करते हुए दावा किया था कि किस तरह बायोमीटिक डाटा खुला छोड़ दिया गया है। इस पर यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से प्रतिदावा किया गया कि आधार का डाटा कंक्रीट की मोटी 13 फीट ऊंची दीवार के पीछे सुरक्षित है, उसे कोई चुरा या उड़ा नहीं सकता।
सरकारी डिजिटल उपायों में सूचनाओं को सुरक्षित रखने के प्रबंध पुख्ता होते तो शायद उसी फ्रांसीसी हैकर को हाल में आरोग्य सेतु एप में पहले के इंतजामों जैसी समान खामियां नहीं मिलतीं। लेकिन इस बार एलियट एल्डर्सन ने आरोग्य सेतु एप को लेकर दावा किया कि वह फ्रांस में बैठकर यह देख सकता है कि इस वक्त भारत की संसद या प्रधानमंत्री कार्यालय तक में कौन-कौन बीमार है और किसी इलाके में कौन लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।
एलियट के मुताबिक भारत सरकार ने आरोग्य सेतु एप को खुला छोड़ दिया है और दुनिया में बैठा कोई भी हैकर इसमें दर्ज सूचनाएं उड़ा सकता है। कांग्रेस ने इन्हीं दावों के आधार पर सरकार से जवाबतलबी भी की। हालांकि इस बार भी सरकार ने सूचनाओं की हैकिंग से इन्कार किया, लेकिन खंडनों से परे सच्चाई यह है कि इन प्रबंधों में लीकेज रोकने के उपायों से लेकर सरकारी दावों तक के बारे में आश्वस्त होना मुश्किल होता जा रहा है। चूंकि सरकारी महकमे जिन उपायों के आधार पर डाटा सुरक्षा आदि के दावे करते हैं, उन प्रबंधों से जुड़ी किसी खामी की नई सूचना आ जाती है और सरकारी दावों की कलई उतर जाती है।