इदौर के युवा इंजीनियर को केन्द्र सरकार में नौकरी लगाने के नाम पर 17 लाख रूपयें ठगने वाली हाइटेक दंपत्ति सायबर सेल की गिरफ्त में ।
जनवरी में राष्ट्रीय दैनिक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपा था विज्ञापन ।
उड़ीसा (भुवनेश्वर) की एडवरटाइजिंग एजेंसी के माध्यम से डाला गया था उक्त विज्ञापन ।
मिनिस्ट्री ऑफ HRD के सेंटर फार डेवलपमेंट स्टडीज के असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर नियुक्ति का था विज्ञापन ।
विज्ञापन मे जारीकर्ता की जगह तथाकथित आइएएस अधिकारी डॉ अवनिश कुमार का डला था नाम व पदनाम ।
ईमेल के माध्यम से भेजा गया असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर के पद का अपाइंटमेंट लेटर ।
ज्वाइनिंग एवं प्रशिक्षण हेतु कलेक्टर कार्यालय इंदौर, वल्लभ भवन भोपाल, शास्त्री भवन दिल्ली, सचिवालय जयपुर, कलेक्टर कार्यालय चूरू, नागौर, सीकर, पी.एस. कार्यालय स्कील डेवलपमेंट तेलंगाना, एमएसएमई कार्यालय तेलंगाना, पी.एस. हायर एजुकेशन गोवाहाटी, एमएसएमई कार्यालय गोवाहाटी आदि स्थानों पर भेजा जाता रहा ठगों द्वारा ।
ठग सोहेल अहमद- एडीशनल डायरेक्टर रणविजय सिंह बनकर व उसकी पत्नि जाहिरा अहमद- प्रोग्राम डायरेक्टर कीर्ति तिवारी बनकर करती थी पीड़ित हर्षवर्धन से बात ।
दिल्ली स्थित 3 अलग- अलग खातों में लगभग 125 बार में जमा करवाए पीड़ित से अलग-अलग फार्मेलिटी के नाम पर 17 लाख 11 हजार रूपयें ।
मुख्य सचिव कार्यालय में भी ईमेल द्वारा फर्जी नियुक्ति पत्र भेज देता था रणविजय ।
CME CSS- Concurrent Monitoring Evaluation Of Centrally Sponsored Schemesके अंतर्गत असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर पर फर्जी नियुक्ति आदेश दिया गया था पीडित को ।
1 लाख रूपयें तन्ख्वाह वाली शासकीय नौकरी का लुभावना ऑफर किया गया था पीडित को ।
आरोपी सोहेल के स्वर्गीय पिताजी अफजल अहमद जेएनयू देहली में समाज शास्त्र के प्रोफेसर थे ।
आरोपी ने सेंटर फार डेवलपमेंट स्टडीज मिनिस्ट्री ऑफ एचारडी के नाम से बना रखी थी फर्जी वेबसाइट ।
गवर्नमेंट डोमेन(gov.in) का उपयोग कर फर्जी वेबसाइट website(www.cds-gov.in) बनाई ।
आरोपी की एक पत्नि रिटायर्ड ब्रिगेडियर की बेटी व एक एमबीए है ।
आरोपी इंदौर शहर के बेलमोंट पार्क व ओशियन पार्क में 2 – 3 माह किराये से भी रहा है।
विशेष पुलिस महानिदेशक सायबर सेल एवं एसटीएफ श्री पुरूषोत्तम शर्मा ने समस्त जोनल इकाइयों को जॉब फ्रॉड से संबधित सायबर अपराधों पर नकेल कसने के निर्देश दिए थे । इसी तारतम्य में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक महोदय, सायबर सेल श्री राजेश गुप्ता द्वारा भी इंदौर/ भोपाल इकाइयों को कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था।
इस संबंध में विशेष पुलिस महानिदेशक महोदय द्वारा पुलिस अधीक्षक, सायबर सेल इंदौर जितेन्द्र सिंह के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया था, जिसमें निरीक्षक सायबर भोपाल अभिषेक सोनेकर व निरीक्षक सायबर इंदौर अंबरीश मिश्रा को शामिल किया गया था । इस संबंध में थाना भोपाल में सायबर इंदौर द्वारा दिनांक 08/07/2019 को युवा इंजीनियर हर्षित भारद्वाज पिता आनंद भारद्वाज निवासी 51, द्वारकापुरी फूटी कोठी इंदौर द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र जिसमें उसके साथ 17,11,000 रूपयें की ठगी की गई थी उस संबंध में अपराध क्रमाक 151/19 धारा 419, 420 भादवि 66 डी आईटी एक्ट का कायम कर विवेचना में लिया गया था ।
विवेचना के दौरान आए तथ्यों के आधार पर एसआईटी की एक टीम निरी. सायबर भोपाल अभिषेक सोनेकर, उनि. विनय नरवरिया, स्वाति अहलावत, आर. धर्मेन्द्र, रितिका द्विवेदी, गोरेगांव मुंबई भेजी गई, जहां आरोपी दम्पत्ति के रहने की जानकारी प्राप्त थी। एसआईटी द्वारा उक्त दम्पत्ति को गोरेगांव मुंबई से गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय में पेश कर पुलिस रिमांड लिया गया है । एसआईटी की दूसरी टीम निरीक्षक सायबर इंदौर अंबरीश मिश्रा, जितेन्द्र चौहान, आर. आशिष शुक्ला, रमेश भिड़े, के द्वारा रिमांड के दौरान पूछताछ की गई, पूछताछ में चौकाने वाले खुलासे हुए है, जिसमें फर्जी वेबसाइट बनाकर राष्ट्रीय दैनिक अंग्रेजी समाचार पत्रों मे नौकरी का विज्ञापन देना व फिर फर्जी नियुक्ति पत्र भेजकर अलग-अलग बैंक खातों मे पैसा जमा कराना शामिल है ।
उक्त एसआईटी में पुलिस अधीक्षक सायबर इंदौर जितेन्द्र सिंह के नेतृत्व निरीक्षक अंबरीश मिश्रा व अभिषेक सोनेकर, उनि. आशुतोष मिठास, जितेन्द्र चौहान,अंबाराम बारूड़, विनय नरवरिया, स्वाति अहलावततथा आर.आशिष शुक्ला, रमेश भिड़े, धर्मेन्द्र, रितिका द्विवेदी, की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
अपराध क्र. 128/19 में गिरफ्तार आरोपीगणों के नाम पते निम्नानुसार हैः-
1- सोहेल अहमद पिता स्व. अफज़ल अहमद निवासी- लखनऊ हाल मुकाम- मुम्बई तथा
2- जाहिरा रफीक पति सोहेल अहमद निवासी- सदर
अपराध में जप्त मश्रुकाः- आरोपियों से अपराध मे प्रयुक्त दो लेपटाप, मोबाइल फोन व मोबाइल सिम, बैंक पासबुक तथा बैंक खाते सीज़ कराए गए हैं ।
सायबर एडवाइजरी-
1. ऑनलाइन जॉब सर्च करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि संबंधित वेबसाइट कही फर्जी तो नहीं ।
2. किसी भी सरकारी विभाग द्वारा सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर रूपयें नही लिए जाते ।
3. सरकारी नौकरी हेतु संबंधित विभाग के शासकीय पोर्टल/ वेबसाइट अथवा समाचार पत्रों मे नौकरी हेतु विज्ञप्ति दी जाती है ।
4. किसी भी शासकीय विभाग द्वारा शासकीय नौकरी हेतु लुभावने प्रलोभन नहीं दिए जाते है ।
5. प्राइवेट एजेंसियों में ऑनलाइन नौकरी सर्च करते समय संबंधित एजेंसी की वेब साइट के पोर्टल से ही ऑफिशियली फोन नंबर/ मोबाइल नंबर लेकर बात करना चाहिए ।