Radhika:-
भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश और सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। यह दक्षिण एशिया में स्थित है और इसे ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के बाद आधिकारिक तौर पर भारत गणराज्य के रूप में घोषित किया गया था।भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है।
भारत देश ने वैज्ञानिक तौर पर बहुत उपलब्धियां प्राप्त की है जैसे:
1.मंगलयान
2.जीएसएलवी मार्क-2
3.व्हीट जीनोम सीकेन्स
4.जीएसएलवी मार्क-3
परमाणु क्षेत्र मे उपलब्धियां
इनकी तरह ही एक चन्द्रयान-2 भी है ,जो भारत की बड़ी उपलब्धियो मे शामिल है।
“चंद्रयान-2 हैं क्या?”
चन्द्रयान-2 का विकास इसरो(ISRO)द्वारा किया गया है।इससे पहले चन्द्रयान-1भी लॉन्च किया गया था ।चन्द्रयान-2 लॉन्च 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारत के समयानुसार2:43 अपराहन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। चन्द्रयान-2का मकशद चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचना है लेकिन ये सीधा जाकर चाँद पर गिरेगा नही बल्कि वहाँ पर जाकर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा भारत पूरे विश्व का ऐसा चौथा देश है जो सॉफ्ट 1लैंडिंग करने जा रहा हैं।
चंद्रयान-2 लॉन्च करने का मुख्य कारण चाँद की सतह में मौजूद तत्वों के बारे में जानना, उनका अध्ययन करना है ।वहाँ की चट्टान और मिट्टी से मैग्नीशियम और कैल्शियम लोहे जैसे खनिजो का भी अध्ययन करना है।वहाँ पर मौजूद चट्टानों और खाईयो की संरचना को खोजना।चंद्रमा की सतह के घनत्व और उसमे होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना और इसमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन करना और ध्रुवीय ताप और चंद्रमा के Lonosphere में electrone की मात्रा की खोज करना ।चंद्रमा की सतह पर पानी hydroxyl के निशान ढूंढने के अलावा चंद्रमा के सतह की 3D पिक्चर लेना और साथ ही वहाँ पर पानी होने के संकेत ढूंढना।
– अगर चंद्रयान-2 से चांद पर बर्फ की खोज हो पाती है तो भविष्य में यहां इंसानों का प्रवास संभव हो सकेगा।
– इससे यहां शोधकार्य के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान में भी नई खोजों का रास्ता खुलेगा।
– लॉन्चिंग के 53 से 54 दिन बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान- 2 की लैंडिंग होगी और अगले 14 दिन तक यह डाटा जुटाएगा।
चंद्रयान-2 मिशन की अवधि क्या होगी?
ऑर्बिटर अपना मिशन एक साल तक जारी रखेगा।
भारत और विश्व को इससे क्या फायदा होगा?
चंद्रयान-2 भारत का अंतरिक्ष मिशन है, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाएगा।भारत तथा पूरे विश्व में चाँद को लेकर समझ और भी मजबूत होगी लोगो को चाँद के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा । जो भी चंद्रमा पर अध्ययन होगा उससे भारत को ही नही बल्कि पूरे विश्व को लाभ होगा ।इससे वैज्ञानिकों को आगे बहुत मदद मिलेगी।
भारत का चाँद पर यह दूसरा मिशन है. भारत चाँद पर तब अपना मिशन भेज रहा है जब अपोलो 11 के चाँद मिशन की 50वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।भारत ने इससे पहले चंद्रयान-1 2008 में लॉन्च किया था. यह भी चाँद पर पानी की खोज में निकला था। चंद्रयान-1 को भी चंद्रमा पर इसी उद्देश्य के लिए भेजा गया था जिसे सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया ,परंतु 29 अगस्त 2009 को 19:30 बजे (आई एस टी)रेडियो संपर्क खो दिया। और वह मिशन असफल होगया जिसके बाद चंद्रयान -2 को भी इसी कार्य के लिए भेज गया।भारत ने 1960 के दशक में अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किया था और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में यह काफ़ी ऊपर है.
चंद्रयान-2 की चर्चायो ने भारत का नाम ऊँचा किया है ।परंतु चंद्रमा पर लेंडर विक्रम के निर्धारित समय पर पहुचने से पहले ही इसरो के साथ संपर्क टूट गए,लेकिन इसरो का मानना है कि 14 दिनके भीतर लैंडर विक्रम से संपर्क हो जाएगा।
चंद्रमा से केवल 2.1 किलोमीटर की दूरी पर ही लैंडर विक्रम का संपर्क टूट गया।भारत के वैज्ञानिकों के कारण ही आज भारत को इतनी बड़ी उपलब्धि मिली है,जिससे पूरे विश्व में एक बार फिर भारत का नाम ऊँचा उठा है।
Wonderfully written